आज बाद नमाजे जुमा नगर पंचायत भोजपुर के मुसलमांंनों सहित सेकड़ो लोग जामा मस्जिद में इकठ्ठा हुए और महामहिम राष्ट्रपति जी को संबोधित ज्ञापन थाना प्रभारी प्रदीप मालिक जी को सौंपा। ज्ञापन में वक्ताओं ने कहा कि सर्वविदित है कि हमारा देश दुनियाँ का सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष देश है, यहाँ विभिनन धर्मो, ज़ातों और अलग अलग भाषाई लोग एक साथ मिलजुलकर, एक दूसरे के कंधे से कन्धा मिलकर सदियों से रहते चले आये है, यहाँ तक कि शादी विवाह से लेकर जीने मरने तक, एक- दूसरे के साथी, मददगार और सहयोगी के रूप मे साथ निभाते आये है, हमारे देश का सौहार्द- भाईचारा, गंगाजमनी तहज़ीब और यहाँ तक कि अंग्रेज़ों को देश से खदेड़ते वक़्त भी हम सबके पूर्वजों ने मिलकर अपनी जाने कुरबान करके, फँसी के फन्दों को चूमते हुए अपने देश को आज़ाद कराया था ।
लेकिन, केन्द्र सरकार ने धर्मनिरपेक्ष देश के क़ानून को ताक पे रखकर, एक गैर क़ानूनी (शहरियत तरमिमी बिल) विधेयक देश में व्यापक विरोध के बावजूद दोनों सदनों से अपनी मैजोरिटी कि ताक़त के बल पर, विरोधाभासी बिल को पास करा लिया है, यह भले ही पारित करवा लिया हो लेकिन जनता ने बड़ी संख्या में इसके खिलाफ सड़कों पर आकर स्पष्ट कर दिया है कि उसने इसे नकार दिया है।
सरकार जन भावनाओं के निरादर की सारी सीमाएं लांघ चुकी है। बहुमत के अहंकार में नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी लेकिन यह सरकार अपनी गलतियों से सीखने के बजाए, गलतियों को छिपाने कि गरज़ से, जनता के दमन पर आमादा है, देश के संविधान की मूल भावना के विरुद्ध, बिल लेकर आयी है, जिससे करोड़ों देशवासियों में भय का माहौल उत्पनन होगया है, और नागरिक अपने काम-काज को छोड़ कर अपने जीवन और अपने बच्चों के भविष्य को लेकर फिकरमंद हो गए है, वंही छात्र अपनी पढाई को छोड़ अपने भविष्य के प्रति आंदोलित होगये है, इस काले काबिल के विरोध में (नागरिकता संशोधन विधेयक) के खिलाफ आंदोलित असम और त्रिपुरा में कश्मीर की भांति इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद कर दी गई हैं और अर्धसैनिक बलों को तैनात कर जनता दमन किया जा रहा है। हम इसका विरोध करते हैं।
लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभ मीडिया को एडवाइजरी के जरिए सीएबी और एनआरसी विरोधी आंदोलनों को न दिखाना इन्द्रा गांधी के इमरजेंसी के दौर की याद ताजा करता है मौजूद सत्ताधारी राजनीतिक दल के नेताओ समेत देश के अनेक जागरूक समजसेवीओ ने भी उस दौर में जेल भी काटा है। मुल्क को बचाने के लिए एक बार फिर छात्र-नौजवान, अमीर, गरीब, मजदूर-किसान इस संविधान विरोधी काले बिल के खिलाफ है। राज्यसभा में विधेयक पारित होने के बाद जिस तरह से भाजपा समर्थकों ने पटाखे फोड़े और जश्न मनाते हुए उन्हें टीवी पर दिखाया गया है। वह टकाराव की स्थिति पैदा करने वाला है जिसके लिए सीधे तौर पर सरकार और उसका गोदी मीडिया जिम्मेदार है।
जनाक्रोश के बीच प्रायोजित जश्न मनाकर यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि देश की जनता इस संशोधन से बहुत खुश है। यही काम इस सरकार ने कश्मीर मामले में आत्मघाती कदम उठाते हुए भी किया था। सरकार द्वारा आधी रात को जीएसटी बिल पारित कराए जाने के बाद भी इसी तरह के जश्न का माहौल बनाया गया था आज उसके दुष्परिणाम देश के सामने हैं।
सरकार ने सवर्ण आरक्षण के जरिए सामाजिक न्याय पर हमला बोलने वाली इस सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए सेक्युलिरिजम पर हमला बोलकर लोकतंत्र को ढहाने की जो कोशिश की उसे यह गांधी का देश बर्दाश्त नहीं करेगा। हर मोर्चे पर विफल सरकार जनता को इस तरह के मुद्दों में उलझाकर रखना चाहती है ताकि रसातल में जाती अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा आदि जैसे ज्वलंत सवालों से जनता का ध्यान हटाया जा सके। नागरिकता संशोधन विधेयक पर कानून के जानकार इस बात पर लगभग एकमत हैं कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है इसलिए महामहिम राष्ट्रपति से निवेदन है कि उक्त काळा क़ानून को रद्द करने व् देश के आम नागरिकों को भय मुक्त जीने के अधिकार को बहाल रखने के प्रयासों को बल प्रदान करें , आपकी महान कृपा होगी ।
ज्ञापन की कॉपी मुहमद कुरैशी के साथ जामा मस्जिद के ईमाम कारी यामीन मिस्बाही, हसन कुरैशी, मुनाजम कुरैशी, रहमान अंसारी, शमी कुरैशी, सहील अहमद, जहीर आलम, अकरम सलमानी, हबीबुर रहमान, हसीब अंसारी, चंदा बाबू, मोहसिन अंसारी, फारूक अंसारी, फैसल कुरेशी, शकील अंसारी भूरा अंसारी समेत सेकड़ो लोग मौजूद थे।